Sanskrit – संस्कृत (संस्कृतम्) का परिचय ( Introduction of Sanskrit)
संस्कृत (संस्कृतम्) का परिचय ( Introduction of Sanskrit)
संस्कृतम्
संस्कृत भाषा का इतिहास (History of Sanskrit Language)
संस्कृत (संस्कृतम्) भारत की शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी या सुरभारती भी कहते हैं। यह दुनिया की सबसे पुरानी वर्णित भाषाओं में से एक है। यह कहा जाता है की भारत के साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक जीवन की व्यवस्था भी इसी भाषा में पाई जाती है।| वर्तमान भाषाओं में, जिनमें लैटिन या ग्रीक जैसी पुरानी पुरातनता है, संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है जिसने अपनी प्राचीन शुद्धता को बरकरार रखा है। इसने अपनी संरचना और शब्दावली को आज भी वैसा ही बनाए रखा है जैसा पहले था।
हिंदू धर्म से संबंधित लगभग सभी शास्त्र संस्कृत में लिखे गए हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) और जैन धर्म के कई महत्वपूर्ण ग्रंथ भी संस्कृत में लिखे गए हैं। आज भी हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के अधिकांश यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही की जाती है। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है।
संस्कृत (संस्कृतम्) शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई | How the Sanskrit word originated in Hindi !!
ऐसा माना जाता है कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति कब हुई यह कोई नहीं जानता, लोग इसकी उत्पत्ति की अलग-अलग व्याख्या करते हैं। लेकिन फिर भी विद्वानों के अनुसार 3500 ई.पू. ऋग्वेद की रचना संस्कृत रूप में हुई होगी और समय-समय पर इसमें परिवर्तन होते रहे होंगे। लेकिन जब पाणिनि ने अष्टाध्यायी व्याकरण के नियम बनाए, तो उसके बाद इसे संस्कार यानी संस्कृत नाम से पुकारा गया। इस आधार पर यह माना जाता है कि पाणिनि से पहले का साहित्य वैदिक संस्कृत है और बाद का साहित्य धर्मनिरपेक्ष संस्कृत है।
संस्कृत (संस्कृतम्) की वैज्ञानिकता | Scientology of Sanskrit in Hindi !!
आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि नासा के सुपरकंप्यूटर में सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की भाषा भी अंग्रेजी में नहीं है, यह देवभाषा (ऋषियों की भाषा) संस्कृत में लिखी गई है। इसमें शब्दों की अधिकतम संख्या लगभग 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख है। जबकि केवल १३००० शब्दों की जड़ें अंग्रेजी में हैं, बाकी लैटिन, फ्रेंच और मिस्र की सभ्यता के पुराने शब्दों से ली गई हैं।
यूएनओ का यह भी कहना है कि दुनिया की 97% से अधिक भाषाएं किसी न किसी रूप में संस्कृत से प्रभावित हैं। यह विश्व की एकमात्र ऐसी भाषा हैजिसको हम किसी भी क्रम में लिखे किन्तु इस के अर्थ में कोई बदलाव नहीं पाया जाता है। और यह भी कहा जाता है की इसमें कुछ शब्दों के प्रयोग से ही वाक्य पूरा होता है। अमेरिकी एजेंसी नासा ने संस्कृत को दुनिया भर में बोली जाने वाली समस्त भाषाओं में सबसे स्प्ष्ट भाषा कहा है ।
संस्कृत भाषा का महत्व | Importance of Sanskrit language in Hindi !!
- हमारे देश की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, संस्कृत भाषा
- इस संस्कृत भाषा को देववाणी भी कहते हैं। यह न केवल भारत की बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी और बेहतरीन भाषा मानी जाता है।
- कई भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है। दूसरे शब्दों में इसे भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है।
- हिंदू, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के प्राचीन धार्मिक ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं।
- संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है, वैज्ञानिकों ने यह भी साबित किया है कि दुनिया की विभिन्न भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है।
- हिन्दू धर्म के समस्त तरह के पूजा पाठ एवं यज्ञ हवन आदि के मंत्र व जाप Sanskrit भाषा में पढ़े जाते हैं.
- देश के कई राज्यों में तृतीय भाषा के रूप में इसका अध्यापन कार्य करवाया जाता हैं.
- संस्कृत को computer के लिये सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। जिसे Nasa ने भी सम्मान दिया है.
विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य (Sanskrit logos of various institutions)
- भारत सरकार- सत्यमेव जयते
- लोकसभा- धर्मचक्र प्रवर्तनाय
- उच्चतम न्यायालय- यतो धर्मस्ततो जयः
- भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद- विद्या विन्योगाद्विकास
- दूरदर्शन- सत्यं शिवम सुनदरम
- भारतीय जीवन बीमा निगम- योगक्षेमं वहाम्यहम
- आल इंडिया रेडियों- सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान- भित्रेष्वेक्स्य दर्शनम्
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई- सिद्धिभर्वति कर्मजा
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- ज्ञान विज्ञानं विमुक्तये
- आंध्र विश्वविद्यालय- तेजस्विनावधितमस्तु
- दिल्ली विश्वविद्यालय- निष्ठां धृति: सत्यम
- केरल विश्वविद्यालय- कर्मणि व्यजयते प्रज्ञा
- राजस्थान विश्वविद्यालय- धर्मों विश्वस्यजगत: प्रतिष्ठा
- भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान खडगपुर- योगः कर्मसु कौशलम
- हिंदी अकादमी- अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम
- श्रम मंत्रालय- श्रम मेव जयते
- भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी- योगः कर्मसु कौशलं
- गुजरात रा. विधि विश्वविद्यालय- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
- भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी- हव्याभि भर्ग सवितुर्वरेण्यं
- राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम- शुभास्ते पंथान: सन्तु
- बिरला प्रौद्योगिकी विज्ञान संस्थान, पिलानी- ज्ञानं परमबलम
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई- ज्ञानं परमं ध्येयम
भारतीय सेना में संस्कृत के लोगो (आदर्श वाक्य) (Sanskrit logo in the Indian Army)
- थल सेना- सेवा अस्माकं धर्मः
- वायु सेना- नभः स्पर्शः दीप्तम
- जल सेना- शं नो वरुणः
- ई एम ई कोर- कर्मः हि धर्मः
- राजपूताना रायफल- वीर भोग्या वसुंधरा
- सेना मेडिकल कोर- सर्वे सन्तु निरामयाः
- ग्रेनेडियर रेजीमेंट- सर्वदा शक्तिशालिम
- राजपूत बटालियन- सर्वत्र विजये
- डोगरा रेजीमेंट- कर्तव्यम अन्वात्मा
- गढ़वाल रायफल- युद्धाय कृत निश्चय
- कुमायु रेजीमेंट- पराक्रमों विजयते
- सेना कश्मीर लाइट इफैन्ट्री- बलिदानं वीर लक्ष्यं
- भारतीय तट रक्षक- वयम रक्षामः
हम आपसे उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा ब्लॉग में लिखी गई जानकारी पसंद आयी होगी। इस जनकसरी से आप को यह पता चलजाएगा की संस्कृत भाषा का कितना महत्व है हमारी जिंदगी में. संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना भी है। धन्यवाद !!!
अगले ब्लॉग में जानिए संस्कृत भाषा को विस्तार में …