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‘रात का खाना ’ सभी बीमारियों की जड़ है

 

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नमस्कार दोस्तों! मैं Sumit Jain फिर से infokhajana.com ब्लॉग पर स्वागत करता हूँ. आज का topic है ‘रात का खाना ’ सभी बीमारियों की जड़ है.

क्या आपने सुना है कि एक पक्षी को मधुमेह है? क्या आपने किसी जानवर को दिल का दौरा पड़ने या शुगर की समस्या होने के बारे में कुछ सुना है?

आप जानते हैं कि कोई भी जानवर न तो आयोडीन युक्त नमक खाता है और न ही ब्रश करता है. फिर भी किसी को न तो थायराइड होता है और न ही दांत खराब होते हैं. ऐसा क्यों आप के मन में इस तरह के कई सवाल होंगे.

जैसा की आप जानते है की बंदर के शरीर की structure कही हद तक आदमी के सामान है. बंदर और आप के बीच एकमात्र अंतर यह है कि बंदर की एक पूंछ है. आपके पास यह नहीं है, बाकी सब समान है. बंदर इंसानो की तरह खेल सकते है , खा सकते है, कूद सकते है और हर तरह की चीजें कर सकते है.

जो बीमारी इंसान को होती है वो बंदर की क्यों नहीं होती है. बंदर को हार्ट अटैक, डायबिटीज , high BP , क्यों नहीं होता है? या कोई जंगली जानवर बीमार हो जाता है? यदि वे बीमार हो जाते हैं तो वे कैसे ठीक होते हैं? इस तरह के कई सवाल होंगे आप के पास.

क्यों जंगली जानवर बीमार नहीं होता है?

आप को मालूम होगा इंसानों में कई तरह की बीमारियों होती है और यह भी कह सकते है की इंसान का शरीर बीमारियों से घिरा रहता है है. इस लिए मुझे आश्चर्य होता है कि जो इंसान में बीमारी है वे जानवरो में सुनाने या देखने को नहीं मिलती है. जब यह रिसर्च की गई की क्या जंगली जानवर इंसानों की तरह बीमार पड़ते हैं, इसका जवाब नहीं है, तो यह कह सकते है इंसान में मिलने वाली बीमारियों का 10% भी नहीं मिलता है.

यह कहा जाता है कि हमारी बीमारियों का 90% मनोदैहिक बीमारी है, जिसका अर्थ है कि हमारे दिमाग में जो कुछ भी होता है उसका हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है और इसके विपरीत। अंत में मुझे जवाब मिला, क्यों जानवर हमारी तुलना में स्वस्थ रहते है क्योंकि वे इंसानों की तरह नहीं सोचते हैं, और उनकी जीवन शैली हमारी तरह नहीं होती हैं।

जानवर वर्तमान समय में जीते हैं; उनको न ही अतीत और न ही भविष्य की चिंता हैं।

हमारे एक मित्र दोस्त ने अपनी रिसर्च में कहा है की क्यों जानवर बीमार नहीं होते है. उन्होंने जानवर पर कई अलग अलग टेस्ट किये किन्तु उन्होंने पाया की जानवरो को कुछ इफेक्ट नहीं होता है उनके शरीर की संरचना इंसान से बहुत ही डिफरेंट है उसी की वजह से इन को कुछ नहीं होता है. वह सुबह पेट भरकर खाता है. यही कारण है कि ब्लड प्रेशर कभी बढ़ता नही मोटापा आता नही, कोलेस्ट्रोल बढता नही, डाईबीटीज नही होता.

साथ ही मेरा दोस्त यह भी कहता है कि सूर्य निकलते ही सारी चिड़िया , सारे जानवर खाने की तलाश में निकल जाते है और भरपेट खाना खाते है. जो आदमी नहीं खा पाता है , इसीलिए उसको सारी बीमारियां होती है ।

‘रात का खाना ’ सभी बीमारियों की जड़ है: जब से मनुष्य ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर के चक्कर में फंसा तबसे मनुष्य ज्यादा बीमार रहने लगा है. आदमी सुबह सुबह भरपेट नही खा पाता. तो कई डॉक्टर ने अपने मरीजों को सलाह दी है की सुबह पेट भरकर खाने खाये। जिन्होंने डॉक्टर की सलाह मानी उनमे कुछ बदलाव देखे गए है उन्होंने सुबह पेट भरकर खाना शुरू किया. जिसकी वजह से किसी का ब्लड प्रेशर कम हो गया, किसी का कोलेस्ट्रोल कम हो गया, किसी के घुटने का दर्द कम हो गया, किसी के कमर का दर्द कम हो गया, किसी के पेट में जलन होना बंद हो गया, नींद अच्छी आनी शुरू हो गयी. तभी से वो अपने सारे रोगियों और अन्य लोगो को जोर देते है की सुबह का भोजन पेट भरकर खाए.

यह बात बागभट्ट जी ने 3500 साल पहले कहा, कि सुबह का किया हुआ भोजन सबसे अच्छा है.

सुबह सूरज निकलने से ढाई घंटे तक यानि 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भरपेट भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । यह नाश्ता का प्रचलन हिंदुस्तानी नहीं है , यह अंग्रेजो की देन है , और रात्रि का भोजन सूर्य अस्त होने से आधा घंटा पहले कर लें । तभी बीमारियों से बचेंगे । सुबह सूर्य निकलने से ढाई घंटे तक हमारी gastritis बहुत तीव्र होती है । हमारी gastritis का सम्बन्ध सूर्य से है ।हमारी gastritis सबसे अधिक तीव्र स्नान के बाद होती है । स्नान के बाद पित्त बढ़ता है , इसलिए सुबह स्नान करके भोजन कर लें । तथा एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच ४ से ८ घंटे का अंतराल रखें बीच में कुछ न खाएं, और दिन डूबने के बाद बिल्कुल न खायें।

चूंकि यह पक्षियों और जंगली जानवरों की दिनचर्या में सम्मिलित है, अत: वे
आमतौर पर बीमार नहीं होते.

स्वस्थ रहे, स्वस्थ रखे.
आयुर्वेद अपनाए निरोग जीवन जिए.

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