जिनवाणी (Jinvani) जिनेन्द्र भगवान का ही अंश है
जिनवाणी (Jinvani) जिनेन्द्र भगवान का ही अंश है यह निम्नलिखित सूचना का ध्यान रखे।
📜 जिनवाणी (Jinvani) को मर्यादा वाले शुद्ध पानी से हाथ धोकर ही स्पर्श करें
📜 स्वच्छ हाथों को शरीर के एक भी अंग से छूना वर्जित है।
📜 खुजली,पसीना या अन्य अंग को स्पर्श हुआ है तो हाथ को धोना आवश्यक है।
📜 जूते पहनकर सीधे जिनवाणी को स्पर्श नही करना यदि बाहर लेजाना हो तो थैली या box में रखकर ले जावे।
📜 घुटनो पर जिनवाणी को कभी न रखे
📜 थूंक से पत्ता कभी न पलटे
📜 घरमे bed,sofa आदि शुद्ध नही होते उस पर बैठकर कभी न पढ़े,प्रवचन भी न सुने
सबसे उत्कृष्ट नीचे बैठकर पढ़े यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो लकड़े की chair पर ,यदि गादी का प्रयोग करते है तो उसको अलग ही रक्खे
📜 अशुद्धि के दिनों में बिल्कुल भी न छुए
📜 जिनवाणी का प्रयोग होने के बाद व्यस्थित रखे
📜 यदि जिनवाणी फटी हुई हो तो सर्वप्रथम उसका binding करवाये , इस्तेमाल करते वक्त सावधानी रखे ताकि फट न जाये।
📜जिनवाणी को बैठने के स्थान पर कभी न रक्खे
📜जिनवाणी को उल्टा कभी न रक्खे
📜Pdf और जिनवाणी दोनो का आदर समान है
🙏विनय एवम भक्ति भाव पूर्वक पढ़ने से ही विशुद्धि आती है अन्यथा मात्र क्षयोपशम ज्ञान से जीव मोक्षमार्ग में आगे बढ़ नही पाता
Read More
Blogger Se “Powered By Blogger” Kaise Hide/Delete Kare in Hindi